दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हायर एजुकेशन सिस्टम भारत में, ये है ग्रोथ स्टोरी
दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हायर एजुकेशन सिस्टम भारत में, ये है ग्रोथ स्टोरी
देश में करीब 75 इंस्टीट्यूट्स ऑफ नेशनल इम्पोर्टेंस दर्जा प्राप्त संस्थान हैं, जो सबसे बड़े गणतंत्र के सर्वश्रेष्ठ शिक्षा केंद्र के रूप में गिने जाते हैं।
750 से ज्यादा यूनिवर्सिटी और 38 हजार कॉलेजों के साथ भारत का हायर एजुकेशन सिस्टम दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा है। इसके अलावा देश में करीब 75 इंस्टीट्यूट्स ऑफ नेशनल इम्पोर्टेंस दर्जा प्राप्त संस्थान हैं, जो सबसे बड़े गणतंत्र के सर्वश्रेष्ठ शिक्षा केंद्र के रूप में गिने जाते हैं। गणतंत्र दिवस के मौके पर आज इन्हीं की चर्चा...
तीसरा सबसे बड़ा हायर एजुकेशन सिस्टम
वर्ष 1950 में आजाद भारत का संविधान लागू होने के समय देश में साक्षरता दर बेहद कम थी, आबादी के अनुपात में शिक्षण संस्थानों की कमी थी। टेक्निकल और प्रोफेशनल संस्थान गिने-चुने थे, लेकिन 66 साल बाद हालात बदल चुके हैं। देश का हायर एजुकेशन सिस्टम चीन और अमेरिका के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा है। अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में देशी संस्थानों को भले जगह न मिले, लेकिन कई ऐसे हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में गिने जाते हैं। आईआईटी, एनआईटी, एम्स सहित कम से कम 74 संस्थान हैं, जो इंस्टीट्यूट्स ऑफ नेशनल इम्पोर्टेंस की कैटेगरी में शामिल हैं और दुनिया के सबसे बड़े गणतंत्र के लिए शिक्षा का श्रेष्ठ केंद्र हैं। आगे की स्लाइड्स मेंआजादी के समय विदेश में पढ़ाई ही था विकल्प,आईआईटी, खड़गपुर से हुई शुरुआत,मैनेजमेंट, डिजाइन और टीचर्स ट्रेनिंग के संस्थान,हर राज्य में आईआईटी, आईआईएम और एम्स,हायर एजुकेशन : तब और अब,अब स्किल डेवलपमेंट पर जोर...
आजादी के समय विदेश में पढ़ाई ही था विकल्प
1950 के दशक की शुरुआत में देश में उच्चस्तरीय शिक्षा के गिने- चुने विकल्प थे। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, कलकत्ता यूनिवर्सिटी, मद्रास यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, दिल्ली यूनिवर्सिटी जैसे कुछेक संस्थान ही उच्च शिक्षा के प्रमुख केंद्र थे। टेक्निकल और प्रोफेशनल एजुकेशन ज्यादा लोकप्रिय नहीं था। इंजीनियरिंग कॉलेज, रूड़की और आईआईईएसटी, पश्चिम बंगाल के अलावा कोई प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थान नहीं था। उच्चस्तरीय शिक्षा के लिए विदेश जाना ही भारतीयों के लिए एकमात्र विकल्प था, लेकिन अधिकांश देशवासियों के लिए यह संभव नहीं था।
आईआईटी खड़गपुर।
आईआईटी, खड़गपुर से हुई शुरुआत इंस्टीट्यूट्स ऑफ नेशनल इम्पोर्टेंस में फिलहाल मुख्य रूप से चार तरह के संस्थान शामिल हैं- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी तथा ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज हैं। वर्ष 1951 में खड़गपुर में पहले आईआईटी के गठन के साथ इसकी प्रक्रिया शुरू हुई और 1963 तक पांच आईआईटी शुरू हो गए। वर्ष 2002 से पहले तक एनआईटी संस्थानों को रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज के नाम से जाना जाता था। इन्हें 2007 में इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल इम्पोर्टेंस का दर्जा मिला। इसके साथ ही साइंस एजुकेशन के लिए आइज़र संस्थानों को गठन भी हुआ। इसी तरह, मेडिकल शिक्षा और रिसर्च के क्षेत्र में वर्ष 1956 में एम्स, दिल्ली की शुरुआत हुई।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, कोलकाता।
मैनेजमेंट, डिजाइन और टीचर्स ट्रेनिंग के संस्थान भी शामिल
जनरल और टेक्निकल के अलावा प्रोफेशनल एजुकेशन के लिए भी श्रेष्ठ संस्थान देश में मौजूद हैं। मैनेजमेंट शिक्षा के लिए पहले इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट संस्थान की शुरुआत कलकता में 1963 में हुई। हालांकि, इन्हें अभी इंस्टीट्यूट्स ऑफ नेशनल इम्पोर्टेंस में शामिल नहीं किया गया, लेकिन संसद में लंबित आईआईएम बिल, 2015 में इसके लिए प्रावधान है। अहमदाबाद स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन को वर्ष 2014 में कानून बनाकर यह दर्जा दिया गया। टीचर्स ट्रेनिंग के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर्स ट्रेनिंग एंड रिसर्च को 2003 में ही इस सूची में शामिल किया गया था। इसके अलावा प्लानिंग, आर्किटेक्चर, स्टैटिस्टिक्स, हिंदी आदि के लिए भी अलग-अलग संस्थान गठित किए गए हैं।
एम्स भुवनेश्वर।
आगे क्या: हर राज्य में आईआईटी, आईआईएम और एम्स
केंद्र सरकार देश के सभी राज्यों के लिए अलग आईआईटी, एम्स और आईआईएम के गठन की योजना पर काम कर रही है। नए संस्थानों के गठन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। वर्ष 2015 में 18 आईआईटी संस्थानों में छात्रों को प्रवेश मिला था, जबकि पांच नए संस्थानों में इस साल से शैक्षिक गतिविधियां शुरू होने की उम्मीद है। पांच नए आईआईएम संस्थान भी जल्द ही कामकाज शुरू करेंगे। इसी तरह, 2012 में छह एम्स संस्थानों के शुरू होने के बाद अलग-अलग राज्यों में 12 ऐसे संस्थानों के गठन को मंजूरी मिल चुकी है। फिलहाल आईआईटी में करीब 10 हजार और आईआईएम में 3500 छात्रों को हर साल प्रवेश मिलता है। नए संस्थानों के गठन के बाद आईआईटी में करीब चार हजार और आईआईएम संस्थानों में 1500 सीटें तक बढ़ जाएंगी।
हायर एजुकेशन : तब और अब ..
वर्ष 1950 में पूरे देश में केवल 25 यूनिवर्सिटी और 700 कॉलेज थे, जिनमें करीब एक लाख छात्र पढ़ते थे। आज कॉलेजों की संख्या 35 गुना और यूनिवर्सिटी की 18 गुना ज्यादा है और 2 करोड़ 60 लाख से ज्यादा छात्र इनमें पढ़ते हैं और हर साल 20 लाख नए छात्र प्रवेश लेते हैं। प्राइमरी और सेकंडरी एजुकेशन के मुकाबले हायर एजुकेशन में एनरॉलमेंट रेशो काफी कम (23.6 फीसदी) है, लेकिन वर्ष 2020 तक इसे 30 फीसदी पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित है।
अब स्किल डेवलपमेंट पर जोर ..
संख्या के आधार पर देखें तो भारत में इंग्लैंड के मुकाबले छह गुना ग्रैजुएट हर साल तैयार होते हैं। उन्हें नौकरी के लिए बेहतर तैयार करने के इरादे से बड़े पैमाने पर स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम शुरू किए गए हैं। सरकार ने इसके तहत 2022 तक 40 करोड़ युवाओं को स्किल ट्रेनिंग देने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
देश में करीब 75 इंस्टीट्यूट्स ऑफ नेशनल इम्पोर्टेंस दर्जा प्राप्त संस्थान हैं, जो सबसे बड़े गणतंत्र के सर्वश्रेष्ठ शिक्षा केंद्र के रूप में गिने जाते हैं।
750 से ज्यादा यूनिवर्सिटी और 38 हजार कॉलेजों के साथ भारत का हायर एजुकेशन सिस्टम दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा है। इसके अलावा देश में करीब 75 इंस्टीट्यूट्स ऑफ नेशनल इम्पोर्टेंस दर्जा प्राप्त संस्थान हैं, जो सबसे बड़े गणतंत्र के सर्वश्रेष्ठ शिक्षा केंद्र के रूप में गिने जाते हैं। गणतंत्र दिवस के मौके पर आज इन्हीं की चर्चा...
तीसरा सबसे बड़ा हायर एजुकेशन सिस्टम
वर्ष 1950 में आजाद भारत का संविधान लागू होने के समय देश में साक्षरता दर बेहद कम थी, आबादी के अनुपात में शिक्षण संस्थानों की कमी थी। टेक्निकल और प्रोफेशनल संस्थान गिने-चुने थे, लेकिन 66 साल बाद हालात बदल चुके हैं। देश का हायर एजुकेशन सिस्टम चीन और अमेरिका के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा है। अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में देशी संस्थानों को भले जगह न मिले, लेकिन कई ऐसे हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में गिने जाते हैं। आईआईटी, एनआईटी, एम्स सहित कम से कम 74 संस्थान हैं, जो इंस्टीट्यूट्स ऑफ नेशनल इम्पोर्टेंस की कैटेगरी में शामिल हैं और दुनिया के सबसे बड़े गणतंत्र के लिए शिक्षा का श्रेष्ठ केंद्र हैं। आगे की स्लाइड्स मेंआजादी के समय विदेश में पढ़ाई ही था विकल्प,आईआईटी, खड़गपुर से हुई शुरुआत,मैनेजमेंट, डिजाइन और टीचर्स ट्रेनिंग के संस्थान,हर राज्य में आईआईटी, आईआईएम और एम्स,हायर एजुकेशन : तब और अब,अब स्किल डेवलपमेंट पर जोर...
आजादी के समय विदेश में पढ़ाई ही था विकल्प
1950 के दशक की शुरुआत में देश में उच्चस्तरीय शिक्षा के गिने- चुने विकल्प थे। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, कलकत्ता यूनिवर्सिटी, मद्रास यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, दिल्ली यूनिवर्सिटी जैसे कुछेक संस्थान ही उच्च शिक्षा के प्रमुख केंद्र थे। टेक्निकल और प्रोफेशनल एजुकेशन ज्यादा लोकप्रिय नहीं था। इंजीनियरिंग कॉलेज, रूड़की और आईआईईएसटी, पश्चिम बंगाल के अलावा कोई प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थान नहीं था। उच्चस्तरीय शिक्षा के लिए विदेश जाना ही भारतीयों के लिए एकमात्र विकल्प था, लेकिन अधिकांश देशवासियों के लिए यह संभव नहीं था।
आईआईटी खड़गपुर।
आईआईटी, खड़गपुर से हुई शुरुआत इंस्टीट्यूट्स ऑफ नेशनल इम्पोर्टेंस में फिलहाल मुख्य रूप से चार तरह के संस्थान शामिल हैं- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी तथा ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज हैं। वर्ष 1951 में खड़गपुर में पहले आईआईटी के गठन के साथ इसकी प्रक्रिया शुरू हुई और 1963 तक पांच आईआईटी शुरू हो गए। वर्ष 2002 से पहले तक एनआईटी संस्थानों को रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज के नाम से जाना जाता था। इन्हें 2007 में इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल इम्पोर्टेंस का दर्जा मिला। इसके साथ ही साइंस एजुकेशन के लिए आइज़र संस्थानों को गठन भी हुआ। इसी तरह, मेडिकल शिक्षा और रिसर्च के क्षेत्र में वर्ष 1956 में एम्स, दिल्ली की शुरुआत हुई।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, कोलकाता।
मैनेजमेंट, डिजाइन और टीचर्स ट्रेनिंग के संस्थान भी शामिल
जनरल और टेक्निकल के अलावा प्रोफेशनल एजुकेशन के लिए भी श्रेष्ठ संस्थान देश में मौजूद हैं। मैनेजमेंट शिक्षा के लिए पहले इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट संस्थान की शुरुआत कलकता में 1963 में हुई। हालांकि, इन्हें अभी इंस्टीट्यूट्स ऑफ नेशनल इम्पोर्टेंस में शामिल नहीं किया गया, लेकिन संसद में लंबित आईआईएम बिल, 2015 में इसके लिए प्रावधान है। अहमदाबाद स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन को वर्ष 2014 में कानून बनाकर यह दर्जा दिया गया। टीचर्स ट्रेनिंग के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर्स ट्रेनिंग एंड रिसर्च को 2003 में ही इस सूची में शामिल किया गया था। इसके अलावा प्लानिंग, आर्किटेक्चर, स्टैटिस्टिक्स, हिंदी आदि के लिए भी अलग-अलग संस्थान गठित किए गए हैं।
एम्स भुवनेश्वर।
आगे क्या: हर राज्य में आईआईटी, आईआईएम और एम्स
केंद्र सरकार देश के सभी राज्यों के लिए अलग आईआईटी, एम्स और आईआईएम के गठन की योजना पर काम कर रही है। नए संस्थानों के गठन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। वर्ष 2015 में 18 आईआईटी संस्थानों में छात्रों को प्रवेश मिला था, जबकि पांच नए संस्थानों में इस साल से शैक्षिक गतिविधियां शुरू होने की उम्मीद है। पांच नए आईआईएम संस्थान भी जल्द ही कामकाज शुरू करेंगे। इसी तरह, 2012 में छह एम्स संस्थानों के शुरू होने के बाद अलग-अलग राज्यों में 12 ऐसे संस्थानों के गठन को मंजूरी मिल चुकी है। फिलहाल आईआईटी में करीब 10 हजार और आईआईएम में 3500 छात्रों को हर साल प्रवेश मिलता है। नए संस्थानों के गठन के बाद आईआईटी में करीब चार हजार और आईआईएम संस्थानों में 1500 सीटें तक बढ़ जाएंगी।
हायर एजुकेशन : तब और अब ..
वर्ष 1950 में पूरे देश में केवल 25 यूनिवर्सिटी और 700 कॉलेज थे, जिनमें करीब एक लाख छात्र पढ़ते थे। आज कॉलेजों की संख्या 35 गुना और यूनिवर्सिटी की 18 गुना ज्यादा है और 2 करोड़ 60 लाख से ज्यादा छात्र इनमें पढ़ते हैं और हर साल 20 लाख नए छात्र प्रवेश लेते हैं। प्राइमरी और सेकंडरी एजुकेशन के मुकाबले हायर एजुकेशन में एनरॉलमेंट रेशो काफी कम (23.6 फीसदी) है, लेकिन वर्ष 2020 तक इसे 30 फीसदी पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित है।
अब स्किल डेवलपमेंट पर जोर ..
संख्या के आधार पर देखें तो भारत में इंग्लैंड के मुकाबले छह गुना ग्रैजुएट हर साल तैयार होते हैं। उन्हें नौकरी के लिए बेहतर तैयार करने के इरादे से बड़े पैमाने पर स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम शुरू किए गए हैं। सरकार ने इसके तहत 2022 तक 40 करोड़ युवाओं को स्किल ट्रेनिंग देने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
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